जबलपुर । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जबलपुर से गहरा नाता रहा है। दिसंबर 1933 को वे चार दिन रुके। यहां सभा की। आखिरी दिन 7 दिसंबर1933 को लियोनार्ड थियोलॉजिकल कॉलेज में भाषण देने गए। महात्मा गांधी जिस गाड़ी से कॉलेज आ रहे थे उसे मौजूदा होटल जैक्सन के पास कुछ विरोध करने वालों ने रोक लिया। विरोधकर्ता उनकी गाड़ी रोकने के लिए सड़क पर लेट गए। गाड़ी में स्थानीय नेता के अलावा सिटी मजिस्ट्रेट भी थे।यह देखकर गांधी जी गाड़ी से उतरे और साइकिल चलाते हुए कॉलेज पहुंच गए।यहां उन्होंने लोगों से स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने का आह्वान किया। महात्मा गांधी जी की 150 वीं जयंती पर डाक विभाग भी कॉलेज के लम्हे पर डाक विभाग लिफाफा जारी कर यादगार बनाने जा रहा है।
यह बात लियोनार्डथियो लॉजिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.नवीनराव ने नईदुनिया से चर्चा में कही। लियोनार्ड थियोलॉजिकल कॉलेज केप्राचार्य प्रो.नवीन राव के मुताबिक संस्थाके 50 साल होने पर गोल्डन जुबली सेरेमनी 1972 में हुई। उस वक्त पुस्तक का प्रकाशन हुआ जिसमें उक्त बातों का उल्लेख किया गया। उनके मुताबिक महात्मा गांधी ने कॉलेज के जिस सभागार में भाषण दिया था उसे आज भी उसी तरह सहेजकर रखा गयाहै।
इस सभा को अब महात्मा गांधी सभागार से जाना जाता है। प्रो.नवीन के अनुसारगोल्डन जुबली सेरेमनी के पहले महात्मागांधी के आने की अधिकारिक दस्तावेज संस्थान के पास नहीं थे। बाद में विभिन्न जगहों से प्रमाण जुटाए गए। उन्होंने बताया कि उस वक्त संस्थान के प्राचार्य पार्कर थे।महात्मा गांधी ने जो भाषण दिया उस वक्त कॉलेज स्टॉफ, विद्यार्थी, कांग्रेस के बड़ेनेताओं में सेठ गोविंददास समेत कई लोग मौजूद थे। गांधी जी ने सभी को स्वतंत्रताआंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया। दुर्लभ किताबों का संग्रह: गांगांधी से जुड़ा दुर्लभ साहित्य लियोनार्डथियोलॉजिकल कॉलेज में सहेजकर रखा गया है। प्राचार्य प्रो.नवीन राय की मानें तो कई साहित्य का प्रकाशन अब बंद हो चुका है जो बेहद दुर्लभ है। 2 अक्टूबर को गांधी सभागार में ऐसी दुर्लभ साहित्य को सार्वजनिक किया जाएगा।
अस्थि कलश का चित्रण भी जबलपुर से
महात्मा गांधी के जिस अस्थिकलश में फूल देशभर में गए। उस अस्थिकलश का डिजाइन जबलपुर में हुआ। महात्मा गांधी पर शोध कर रहे लक्ष्मीकांत शर्मा का दावा है कि मशहूर चित्रकारफ्रेंक वेस्ली ने इस डिजाइन तैयार किया। वे मूलत:आजमगढ उप्र के थे लेकिन कैरव्ज संस्थासे जुड़े होने के कारण जबलपुर के कैरव्ज में रहते थे। उनकी बनाई कलाकृतियां बेहद मशहूर हुईं। हालांकि इस संबंध में फ्रेंक वेस्ली का विकीपीडिया में ही सिर्फ जिक्र मिला है। अन्य कहीं और भी ऐसेप्रमाण नहीं मिले जिससे इस तथ्य की अधिकारिक पुष्टि हो सके।