छत्तीसगढ़ में एक अनोखा मामला सामने आया है जिसमें बिना इंदिरा आवास बने ही उसका मकान टैक्स पंचायत के द्वारा वसूला जा रहा है। यह टेक्स किसी आम आदमी के पास से नहीं बल्कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कोरवा आदिवासियों के साथ है। कहने को तो छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री का शासन है लेकिन इस घटना ने आदिवासियों के साथ हो रहे न्याय की मिसाल पेश की है। दरअसल या घटना जशपुर जिला के बगीचा ब्लॉक के ग्राम पंचायत कलियां सिहारडांड की है।
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दरअसल यह ग्राम पंचायत काफी बीहड़ क्षेत्र में बसा हुआ है। यहां पर छत्तीसगढ़ के मूल निवासी पहाड़ी कोरवा आदिवासियों का लगभग 40 से 45 परिवार निवास करता है। शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक आवास योजना जिसके तहत गरीब परिवारों को आवास के लिए कुछ पैसे दिए जाते हैं जिससे वह अपने घर का निर्माण कर उसमें रह सके और विकास की धारा में शामिल हो सके। लेकिन इस ग्राम पंचायत में इसके ठीक विपरीत हो रहा है। छत्तीसगढ़ के गरीब वनांचल में रहने वाले पहाड़ी कोरवाओं को आवास की राशि की जगह केवल कागजों में उनका नाम लिखा गया है और पंचायत के द्वारा उनसे बाकायदा मकान का टैक्स वसूला जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि वह अभी भी अधिकांश अपने पुराने कच्चे मकान में ही रहते हैं। उन्हें ना तो पूरा पैसा मिला है और ना ही पक्का मकान का निर्माण हुआ है| पंचायत के कर्मचारी इतने अंधे हो चुके हैं कि उन्हें यह कच्चा घर भी नहीं दिख रहा है और उसी घर के अवज़ में मकान टैक्स वसूला जा रहा है।
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आपको बता दें कि ग्राम पंचायत कलियां सिहारडांड गांव का मामला है| यहां एक पहाड़ी कोरवा कलावती बाई पति रविन्द्र वनवासी सिहारडांड़ का निवासी है| जबकि कलावती बाई पहाड़ी कोरवा का शहरी एवं ग्रामीण पी एम आवास तक नहीं बना है फिर भी से मकान टैक्स 200 रुपये काट कर रसीद हाथ में थमा दिया| सवाल उठता है कि जिसका मकान बना है उसका तो ठीक है लेकिन जिसका मकान नहीं है उसका मकान टैक्स कैसे कैसे काट दिया| जबकि कलावती बाई पहाड़ी कोरवा विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के अंतर्गत आता है|