Sheep Farming : देशभर में लोग बड़ी संख्या में पशुपालन करते हैं। इससे उन्हें बंपर मुनाफा भी होता है। आज हम आपको एक ऐसे पशु के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे पालने से लोगों को अच्छी-खासी इनकम होती है। जी हां, ये गाय, भैंस या बकरी नहीं बल्कि भेड़ है। भेड़ पालन से लोगों को काफी तगड़ी कमाई हो रही है। एक सीजन में ही भेड़ पालकों को लाखों रुपयों की कमाई हो रही है।
भेड़ की सबसे बड़ी खासियत है कि इसकी खाल से जैकेट और कंबल तैयार किए जाते हैं। भेड़ से निकलने वाला जैविक उर्वरक 8 से 10 रुपये प्रति किलो बिक जाता है। यानी रोजाना इससे 200 से 300 रुपये आसानी से निकाले जा सकते हैं।
Sheep Farming: दो से तीन नस्ल की भेड़ पालन
ज्यादातर भेड़ पालक दो से तीन नस्ल की भेड़ पालन करते हैं। एक गुजरी नस्ल जोकि देसी भेड़ है। इसके अलावा गद्दी, मगरा नस्ल की भेड़ का भी पालन कर रखा है। देश में कई जगहों पर मांस की काफी डिमांड है। ऐसे में भेड़ मालिकों को ताबड़तोड़ मुनाफा होता है।ऐसे में भेड़ पालन छोटे तबके के किसान के लिए चलता फिरता एटीएम ही कहलाता है।
जानकारी के अनुसार एक सीजन में करीब 05 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है। भेड़ का बच्चा आसानी से बिक जाता है।सर्दियों के दिनों में ऊन भी काफी मिलती और अच्छी कीमत पर बिकती है। भेड़ एक साल में भेड़ दो बार प्रजनन करती है।भेड़ की अगर अच्छी तरह से देखभाल की जाए तो प्रत्येक मादा भेड़ दो बच्चे एक बार में देती है। कई भेड़ चालक ऐसे भी हैं। जिनके पास 400 से अधिक इस समय भेड़ मौजूद हैं। प्रजनन के बाद होने वाले बच्चे बड़े होकर वह बिक्री कर देते हैं, जोकि कश्मीर के बाजार तक जाती हैं। इसके अलावा इन भेड़ों से जैव उर्वरक और दूध के साथ ही मांस व चमड़ा भी तैयार होता है।
जानकारी के अनुसार एक भेड़ की कम से कम कीमत 5,000 से 10,000 रुपये के बीच होती है।आप सोच सकते हैं कि जिनके पास 400 भेड़ हैं, तो उनकी कीमत का अंदाजा अब खुद लगा सकते हैं।देश के अधिकतर भागों में भेड़ पालन किया जाता है। हमेशा उन्नत प्रजाति की भेड़ की किस्म का ही चयन करें, ताकि आप अधिक दूध और ऊन पा सकें। भारत में आमदनी बढ़ाने वाली भेड़ की प्रजातियों में मालपुरा, जैसलमेरी, मंडिया, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायलरा मबुतु, छोटा नागपुरी और शहाबाबाद शामिल हैं।
इसके अलावा भेड़ पालन से अच्छा पैसा कमाने के लिए उनकी स्वच्छता और सेहत के लिए भरपूर ध्यान देना चाहिए।इनका जीवनकाल आमतौर पर 7 से 8 साल ही होता है, लेकिन वे पर्याप्त मात्रा में ऊन पैदा करके किसानों और पशुपालकों को पैसे वाला बनाते हैं।