गोरखपुर । यातायात नियम का उल्लंघन करने वालों पर सख्त होने वाली भाजपा सरकार अब जल प्रदूषित करने वालों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार में जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने आज इसका संकेत दे दिया है।
प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा है कि जल संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार कानून बनाने जा रही है। इसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, जल्द कानून को लागू कर दिया जाएगा। कानून के अनुपालन के लिए महज छह महीने का समय दिया जाएगा। कानून में जल को प्रदूषित करने वाले लोगों को पांच से सात साल की कड़ी सजा और 10 से 20 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा। डॉ. महेंद्र सिंह ने सोमवार को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ तथा महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह के तहत ‘जल है तो कल है’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में इसकी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सभी सरकारी, अद्र्ध सरकारी, निजी और व्यापारिक संस्थान नए कानून के दायरे में होंगे। सभी के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। जो संस्थान सिस्टम को नहीं लगाएंगे, उनकी संस्था की संचालन मान्यता रद कर दी जाएगी। अब निर्माण कराने वाले उन्हीं लोगों का नक्शा होना, जहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना होगा। इसके अलावा एक ऐसा मॉडल भी तैयार किया जा रहा है कि हर व्यक्ति अपने घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा सके। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जितना पानी हम धरती से ले रहे हैं, उतना उसे वापस भी हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बहुत सारी ऐसे उद्योग लगाए गए हैं और बूचडख़ाना संचालित हो रहा है, जिनसे भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है। कानून में इसके दोषी लोगों के लिए पांच से सात साल की सजा और 10 से 20 लाख के जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है।
जल की नजरिए से प्रदेश में 151 ब्लॉक डार्क जोन में
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश में 151 ऐसे ब्लाक चिन्हित किए गए है, जहां भूमिगत जल नहीं के बराबर है। उन्हें डार्क जोन ब्लॉक की संज्ञा दी गई है। एक वर्ष में विशेष कोशिश कर इन ब्लॉकों को डार्क जोन से बाहर लाया जाएगा।
अनुमति लेकर ही लगा सकेंगे सबमर्सिबल
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि शहर और गांव में तेजी से लग रहे सबमर्सिबल पंप पर भी शिकंजा कसा जाएगा। इसे लगाने के लिए अनुमति लेनी होगी। जिसने पहले से इसे लगा रखा है, उसे पंजीकरण कराना होगा। इस पंप पर हम मीटर भी लगाएंगे, जिससे पानी के दोहन की मॉनिटरिंग की जा सके।
कुओं को मिलेगा पुनर्जीवन
डॉ. महेंद्र ने कहा कि प्रदेश के शहरों और गावों में जितने भी कुंए बचे हुए हैं, उन्हें पुनर्जीवन देने की तैयारी भी चल रही है। कुंओं के माध्यम से बारिश के पानी को पाताल तक पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा तालाब और चेकडेम बनाकर का जल संरक्षित करने का कार्य भी किया जााएगा।