महासमुन्द| मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत जिले के स्लम एरिया, झुग्गी बस्तियों में चिकित्सा सुविधाएं अब गली-गली हर मोहल्ले तक आसान पहुंच में हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की इस अभिनव पहल का लाभ दैनिक कामगारों, श्रमिकों के साथ-साथ उन स्थानीय निवासियों को भी मिल रहा है, जो बीमार होने के बाद भी कभी साधन नहीं होने की मजबूरी तो कभी आर्थिक तंगी जैसी समस्याओं के चलते अपना इलाज करवा पाने में असमर्थता महसूस करते थे। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना की भांति यह योजना भी मरीजों को बिना खर्च किए घर के समीप ही स्वास्थ्य लाभ प्रदाय करने में सफल साबित हो रही है।
उल्लेखनीय है कि 02 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना का शुभारंभ किया गया था। शुरुआती दौर के प्रथम मास में ही महासमुंद और सरायपाली विकासखंडों के शहरी क्षेत्रों की 13 झुग्गी बस्तियों में 04 स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर क्रमशः 293 एवं 123 मरीजों को जोड़ कर 416 महिला-पुरुषों को इलाज की निःशुल्क सेवाएं उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। अस्पताल और मरीज के बीच यातायात संबंधी दूरी खत्म होने से विशेषकर बुजुर्ग वर्ग इस ओर उत्साहित है। वहीं, बच्चे एवं महिलाएं भी अपने परिजनों का उपचार करवाने के लिए इन शिविरों की ओर रुख कर रहे हैं। समीक्षात्मक आंकलन में पाया गया कि शिविर के दौरान 14 गर्भवती महिलाओं ने जांच कराया। कुल 138 रक्तचाप जांच में 50 से अधिक संभावित मरीज उच्च रक्तचाप से पीड़ित मिले। नेत्र विकार से पीड़ित 28 मरीजों ने लाभ लिया। लगभग सवा-सौ मधुमेह जांच प्रकरणों में तकरीबन दो दर्जन से अधिक मरीजों को मधुमेह संभावित पाया गया, इनके साथ टी.बी. के संभावित मरीजों को भी नियमित रूप से दवा सेवन कर खान-पान में परहेज रखने की सलाह दी गई। वहीं, कुपोषण और आयरन की कमी दूर करने के लिये सुपोषण अभियान में भी बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिले में शहरी जनसंख्या तकरीबन एक लाख 20 हजार के आस-पास है और इनमें बड़ी संख्या में नागरिक झुग्गी बस्तियों में निवासरत है। योजना इन श्रमिकों, कामगारों सहित बच्चे, बूढ़े व जवान उन सभी के लिए है जो शहर में रहते हुए भी चिकित्सकीय सेवा की मुख्य धारा का पूर्ण लाभ नहीं ले पा रहे थे। प्रारंभिक चरण में इस ओर मरीजों का बढ़ता रूझान देख कर उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश स्तर पर शुरू हुई मुख्यमंत्री की योजना महासमुंद के रहवासियों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में माल का पत्थर साबित होगी।
में नी जा सकत रेहें त ओ मन आ गिन 78 वर्षीय जमुना बाई वार्ड नंबर 22 की निवासी हैं। वे बताती हैं कि उन्हें फेफड़े में हल्का-सा इन्फेक्शन था, चार कदम चलते ही सांस फूल जाती इससे कहीं जाना-आना तो दूर सांस लेना भी दूभर हो रहा था। ऐसे में, उनके वार्ड की बस्ती में स्वास्थ्य शिविर लगा। घर बैठे इलाज ही नहीं बल्कि मुफ्त में जरूरी दवाएं भी मिल गईं। गुरू घासी दास वार्ड नंबर 21 की 69 वर्षीय कमला यादव भी कुछ इसी तरह समस्याग्रस्त थीं। कमजोरी और हाथ-पैर में दर्द के चलते उनका भी घर से निकलना लगभग बंद ही हो गया था। घर के समीप लगे स्वास्थ्य शिविर में आकर उपचार करवाने के बाद वे इस योजना को बुजुर्गों के लिए वरदान का पर्याय बताती हैं।
विशेषताओं पर एक नजर
बस्तियों में शिविर आयोजन की पूर्व सूचना देकर मरीजों से निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ लेने की अपील की जाती है। नियत तिथि एवं समय पर चिकित्सक सहित नैदानिकी अमला लैब की सुविधाओं के साथ उपस्थित रहता है। सार्दी, खांसी, बुधार, दर्द, टी.बी.,रक्तअल्पता, महुधमेह, रक्तचाप, नेत्र विकार जैसी अधिकांश समस्याओं के लिए मौके पर निदान मिलता है। परामर्श, उपचार, खून व अन्य जांच एवं दवा वितरण इत्यादि की समस्त सुविधाओं के लिए मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। कलेक्टर के निर्देशन में स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर शिविरों में औचक निरीक्षण कर निगरानी करते रहते हैं।