जांजगीर जिला पंचायत क्रमांक 7 में कांटे की टक्कर, 5 उम्मीदवारों में 2 बाहरी, फिर भी कर रहे हैं जमके दावेदारी

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जांजगीर जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 7 कभी पामगढ़ के लिए जाना जाता था। पामगढ़ के नगर पंचायत हो जाने के बाद यह हिस्सा भले ही कट गया हो लेकिन राजनीति पामगढ़ के ही इर्द-गिर्द मंडरा रही है।

इस पंचवर्षीय के लिए इस क्षेत्र में 5 उम्मीदवार मैदान में है। इस चुनाव में हालांकि किसी दलगत राजनीति का चुनाव चिन्ह नहीं रहता किंतु पार्टी अपने समर्थित उम्मीदवार उतरती है। भाजपा ने क्षेत्र से बाहर के प्रत्याशी श्रीमती विभा डमरू मनहर को इस क्षेत्र में अपना प्रत्याशी घोषित किया है| उसकी दावेदारी भी जातिगत रणनीति के तहत अन्य दावेदारों पर भारी भी पड़ सकती है। कांग्रेस में असमंजस्य की स्थिति निर्मित है हालांकि पूर्व में इस जिला पंचायत क्षेत्र से जीते प्रीति अजय दिव्य को अपना प्रत्याशी घोषित की थी किंतु एक रात में ही कांग्रेस को अपना प्रत्याशी छोड़ना पड़ा और इस क्षेत्र क्रमांक को मुक्त करना पड़ा। बसपा ने 6 माह पूर्व ही अपने प्रत्याशी की संभावना जता दी थी तब से दरस राम सांडे क्षेत्र में डटे हुए हैं। पिछले पंचवर्षीय में भी इस क्षेत्र से बसपा के प्रत्याशी ने भारी जीत हासिल की थी। इसी उम्मीद के साथ इस पंचवर्षीय में भी बसपा प्रत्याशी लगे हुए हैं।

 

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जांजगीर जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 7 में 22 ग्राम पंचायत और लगभग 30 गांव आते हैं। क्षेत्र में लगभग 48 हजार मतदाता है। भारी भरकम मतदाता वाले इस जिला पंचायत क्षेत्र में ओबीसी की संख्या भारी है। उनका वोट किसी भी उम्मीदवार के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकता है। अब तक ओबीसी का लगभग 25 फ़ीसदी अधिक वोट बसपा को जाता है| जबकि भाजपा को 40 -45 और 30-35 फीसदी वोट कांग्रेस में पड़ता है| यही कारण है कि यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में बसपा लीड करती है| हालांकि इस विधानसभा चुनाव में वोट का प्रतिशत कुछ काम हुआ है और कांग्रेस को ओबीसी वोट का फायदा मिला है। जिसकी वजह से बड़ी बढ़त के साथ विधानसभा में कांग्रेस को जीत मिली थी।

 

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जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस के पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रीति अजय दिव्य और नीरज खूंटे दोनों के चुनाव में आने के बाद पार्टी को इस क्षेत्र क्रमांक को मुक्त करना पड़ा। हालांकि नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा की थी जिसमें प्रीति अजय दिव्य का नाम आया था। किंतु पामगढ़ विधायक के खासमख़ास माने जाने वाले नीरज खूंटे के चुनाव लड़ने की वजह से शायद कांग्रेस को यह निर्णय लेना पड़ा। अब कांग्रेस मतदाता असमंजस की स्थिति में है कि किसे वोट करें। कहीं इसका भारी नुकसान कांग्रेस को ना उठाना पड़े यही डर सामने आ रहा है। देखा जाए तो प्रीति अजय दिब्य को राजनीति का बहुत गहरा अनुभव रहा है| अजय कांग्रेस के ब्लॉक, जिला, प्रदेश तक के कार्यकारणी में शामिल रहे हैं| पूर्व में प्रथम सीएम अजीत जोगी के भी करीबी थी उनके साथ इन्होने ने भी पार्टी छोड़ उनके साथ चले गए थे, लेकिन विधानसभा के बाद उन्होंने पुनः कांग्रेस में कर ली | इनका ये तीसरा जिला पंचायत चुनाव है| इसी तरह कांग्रेस खेमे से नीरज खूंटे राजनीति मामले में नए है| इनका राजनीति अनुभव ज्यादा नहीं है, लेकिन सन 2020 में पहली बार लड़े सरपंच चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई फिर सरपंच संघ के अध्यक्ष भी बन गए| फिर कांग्रेस ने शामिल हो गए|

 

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इसी तरह बात करें भाजपा प्रत्याशी श्रीमती विभा डमरू मनहर की तो वह क्षेत्र क्रमांक 8 की रहने वाली हैं। शायद भाजपा ने उन्हें जातिगत रणनीति के आधार पर क्षेत्र क्रमांक 7 में अपना समर्थित प्रत्याशी बनाते हुए मैदान में उतारा है। आपको बता दें कि मनहर परिवार लंबे समय से अपने ग्राम पंचायत भूईगांव में सरपंच व जनपद सदस्य पद पर रहे हैं। राजनीति का अच्छा खासा और लंबा अनुभव है। साथ में सतनामी समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। इस क्षेत्र में सतनामी समाज बहुल्यता है बीजेपी की रणनीति कारगर की साबित हो सकती है किंतु बाहरी प्रत्याशी होने का एक वीक पॉइंट भी सामने है। पूर्व में बसपा से समर्थित पामगढ़ के जनपद अध्यक्ष भी रहे हैं | किन्तु विधानसभा चुनाव 2019 में बसपा बवंडर में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी| फिर कांग्रेस में एंट्री की तैयारी थी किन्तु उपेक्षा के बाद उन्होंने विद्रोह कर दिया था| अब भाजपा में उन्होंने एंट्री ली है|

 

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बसपा प्रत्याशी दरस राम सांडे का राजनितिक अनुभव नही के बतौर है| इनका रुझान मुख्य रूप से शिक्षा पर केन्द्रित रहा है| बच्चों को पढ़ना, लोगों को नाना प्रकार की जानकारी देना इनकी आदत है| इन्होने राजनीति, समाज और अंग्रेजी में एमए किया है| साथ ही बीएड, सीजी टेट व सेट कर रखा है| माध्यम वर्ग के किसान परिवार से है| पारिवारिक दृष्टिकोण से बचपन से ही पार्टी से जुड़े हुए हैं| पिछले 6 माह से वे पार्टी का विश्वास जीत कर क्षेत्र में तैयारी कर रहे हैं| अगर  बसपा से जुड़े अनुसूचित जाति के अलावा इन्हें पिछड़ा वर्ग का समर्थन मिलता है तो इन्हें इसका व्यापक लाभ मिल सकता है|

 

 

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इन सब के अलावा ग्राम महंत के सविता नट ने भी अपनी दावेदारी इस क्षेत्र में की है| सविता नट नवागढ़ क्षेत्र की रहने वाली है | लेकिन इस क्षेत्र में नट समुदाय की भी कुछ संख्या निवास करती है|  इन समुदाय का चुनाव में आना लोकतंत्र की खूबी को दर्शाता है| जो अपनी स्वतन्त्रता और अधिकार का प्रयोग कर लड़ना सिखाता है| नट समाज इस चुनाव के माध्यम से लोकतंत्र में अपनी भी उपस्थिति का अहसास करा रहे है|

 

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