गांव में किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर मिर्च की खेती कर रहे हैं। यहां के 95% किसान मिर्च की खेती में कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। इस बदलाव ने न केवल गांव की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि ग्रामीणों का जीवन स्तर भी बेहतर बनाया है।
पारंपरिक फसलों को छोड़ अपनाई यह खेती
किसान राजू सिंह ने बताया कि पहले वे पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और सरसों की खेती करते थे। इनसे उन्हें सीमित लाभ मिलता था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति नहीं सुधर पा रही थी। पांच साल पहले आगरा के कुछ किसानों से मिले सुझाव के बाद उन्होंने मिर्च की खेती शुरू की। शुरुआती सफलता के बाद गांव के अन्य किसानों ने भी इस फसल को अपनाया। आज बुराना गांव मिर्च उत्पादन के लिए जाना जाता है।
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इस खेती से महिलाओं को मिल रहा है रोजगार
मिर्च की खेती से महिलाओं को रोजगार इस खेती ने न केवल पुरुष किसानों को फायदा पहुंचाया है, बल्कि महिलाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसर खोले हैं। महिलाएं मिर्च की तुड़ाई और गुड़ाई का काम करती हैं, जिससे उन्हें रोजाना 200 रुपये की आय हो रही है। यह उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के साथ ही उनके परिवारों की आमदनी में इजाफा कर रहा है।
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एक बीघा की खेती से कमा रहे एक लाख रुपए
किसान एक बीघा में मिर्च की खेती पर करीब 35,000 रुपये खर्च करते हैं, जबकि एक सीजन में 1 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा लेते हैं। एक बीघा में 60 से 80 क्विंटल मिर्च का उत्पादन होता है, जिसे राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बेचा जाता है। फिलहाल थोक में मिर्च का भाव 35 से 40 रुपये प्रति किलो है।
मिर्च की खेती से सालाना करीब 2.5 करोड़ की इनकम
गांव की सालाना आमदनी करोड़ों में बुराना गांव के किसान मिर्च की खेती से सालाना करीब 2.5 करोड़ रुपये की कमाई कर रहे हैं। इस बदलाव ने न केवल गांव की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है, बल्कि बुराना को एक सफल कृषि मॉडल के रूप में स्थापित कर दिया है।
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