जुलाई से 10 साल से अधिक पुराने वाहनों को नहीं मिलेगी डीज़ल, जाने क्या है कारण

जुलाई से 10 साल से अधिक पुराने वाहनों को नहीं मिलेगी डीज़ल, जाने क्या है कारण  : दिल्ली में पहली जुलाई से 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी CAQM ने दिल्ली के प्राधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे पहली जुलाई से उन सभी डीजल और पेट्रोल वाहनों को ईंधन ना दें जिनके रजिस्ट्रेशन के 10 और 15 साल पूरे हो चुके हैं। इसके साथ ही CAQM ने पलूशन की रोकथाम के लिए एक और बड़ा आदेश जारी किया है।

 

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1 नवंबर से BS-6 से नीचे के डीजल माल वाहनों की एंट्री बैन

सीएक्यूएम की ओर से जारी आदेश के अनुसार, पहली नवंबर से दिल्ली में बीएस-6 डीजल से नीचे के सभी ट्रांसपोर्ट और कॉमर्शियल माल वाहनों की एंट्री पर बैन लगाने का आदेश जारी किया है। यह आदेश दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड सभी ट्रांसपोर्ट और कॉमर्शियल माल वाहनों पर लागू होगा।

ओवरएज वाहनों को नहीं मिलेगा फ्यूल

वहीं दिल्ली के सभी फ्यूल स्टेशनों को 30 जून तक स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे लगाने होंगे। ये प्रणालियां 10 साल (डीजल) या 15 साल (पेट्रोल) से पुराने वाहनों का पता लगाएंगी। इनको पहली जुलाई से फ्यूल नहीं दिया जाएगा।

 

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एनसीआर के 5 जिलों के लिए भी आदेश

सीएक्यूएम की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि दिल्ली से सटे 5 हाई लोड डेंसिटी वाले जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत में यही आदेश इस साल पहली नवंबर से लागू होना चाहिए। हर हाल में फ्यूल स्टेशनों पर एएनपीआर कैमरे लगाने का काम 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाना चाहिए।

बाकी जिलों के लिए मोहलत

सीएक्यूएम ने एनसीआर के बाकी जिलों को कैमरे लगाने के लिए 31 मार्च, 2026 तक का समय दिया है। ओवरएज वाहनों को फ्यूल देने से मनाही पहली अप्रैल, 2026 से लागू होगी। आदेश में कहा गया है कि वाहन डाटाबेस से जुड़े ये कैमरे पुराने वाहनों या बिना वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र वाले वाहनों की पहचान करेंगे।

 

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वाहन स्क्रैपिंग के तहत ऐक्शन के निर्देश

आयोग ने कहा कि पेट्रोल पंपों को उक्त तारीखों से ऐसे वाहनों में फ्यूल भरने से मना कर देना चाहिए और प्राधिकारियों को वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) नियमों के तहत तत्काल कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

कमान कंट्रोल सेंटर्स के जरिए होगी निगरानी

आदेश में यह कहा गया है कि सड़कों पर पुराने ओवरएज वाहनों का पता लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यातायात निगरानी प्रणालियों और यूनिफाइड कमान कंट्रोल सेंटर्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

 

 

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