महाकुंभ में भगदड़, घर पहुंचा शव, न पीएम रिपोर्ट, न डेथ सर्टिफिकेट, पता नहीं कैसा मारा

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महाकुंभ में भगदड़

मौनी अमावस्या की रात महाकुंभ में भगदड़ मचने के बाद अब तक 49 लोगों की मौत की जानकारी सामने आ चुकी है. प्रशासन की ओर से 25 लोगों की शिनाख्त कर ली गई है वहीं 24 लोगों की शिनाख्त फिलहाल नहीं हो पाई है. प्रशासन ने जो सूची जारी की है उसमें पश्चिम बंगाल के भी तीन लोग शामिल हैं. उन्हें पहले ही राज्य में वापस लाया जा चुका है. मृतकों के परिजनों के सिर्फ एक कागजी डॉक्यूमेंट भेजा गया है जिसमें मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं है. शव के साथ प्रशासन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं भेजी. इससे प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया है.

 

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जानकारी के मुताबिक महाकुंभ में कोलकाता की बसंती पोद्दार, शालबोनी की उर्मिला भुइयां और जमुरिया के विनोद रुईदास की मौत हुई है. उनके शवों को परिजनों को सौंपा गया है. शवों के साथ प्रशासन की ओर से एक लेटर भेजा गया है जिसमें सिर्फ तीन ही जानकारी दी गईं हैं. इनमें मृतक का नाम, पता और किस रिश्तेदार ने उसका शव स्वीकार किया है इसकी जानकारी दी गई है. इस डॉक्यूमेंट में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि उनके परिजनों का निधन महाकुंभ में हुआ है.

 

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नहीं कर सकते दावा!

इस स्थिति में बड़ा सवाल मृतकों के परिजनों के सामने है कि वह प्रशासन को कैसे समझा पाएंगे कि उनके परिजनों की मौत महाकुंभ में हुई है. मृतकों के साथ मिले कागज में ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है कि उनके परिजन महाकुंभ में शामिल हुए थे और वहीं पर उनकी मौत हुई है. मृतकों के शवों के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया है. साथ ही किसी भी शव को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी परिजनों को नहीं दी गई है.

 

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वकील ने उठाए सवाल

वकील अनिर्बान गुहा ठाकुरता ने कहा कि कानून पूरी तरह से स्पष्ट है, अगर किसी की भी मृत्यु होती है तो जिस जगह मृत्यु होती है उसी जगह से मृत्यु प्रमाण पत्र भी मिलता है. अगर शवों के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं भेजे गए हैं तो मृतकों के परिजनों को प्रयागराज जाना पड़ेगा. स्थानीय प्रशासन को अप्राकृतिक मौत के मामले में जांच करनी चाहिए और शवों को पोस्टमार्टम भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर यह सब नहीं हो रहा है तो यह कानून का उल्लंघन है.

 

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कैसे मिलेगा मुआवजा?

बड़ा सवाल मृतकों के परिजनों के सामने है… क्योंकि मृतकों के लिए जो मुआवजा घोषित हुआ है उसे लेने के लिए उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. मृत्यु के कारण स्पष्ट नहीं हैं तो और इससे संबंधित कोई डॉक्यूमेंट भी नहीं हैं तो जीवन बीमा का दावा भी कठिन होगा. हालांकि प्रशासन ने कहा है कि मृतकों के परिजनों तक 10 दिन के अंदर सभी जरूरी डॉक्यूमेंट पहुंच जाएंगे. हालांकि यह तय नहीं है कि अगर परिजनों तक डॉक्यूमेंट नहीं भेजे गए तो उन्हें किससे संपर्क करना है.

 

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